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सुबह की हल्की धूप कमरे के अंदर झाँक रही थी। खिड़की के शीशे पर पड़ती धूप, और कमरे में फैलती चुप्पी के बीच दोनों के दिलों में एक अजीब सी खामोशी थी। रात की बातों, उन गहरी आँखों में छुपी भावनाओं, और उस पल की सच्चाई ने अब अपनी पूरी छाप छोड़ दी थी। रुद्र ने आँखें खोलीं और देखा, आर्या अभी भी सो रही थी। उसका चेहरा शांत था, जैसे उसने अपनी सारी थकान उस रात में छोड़ दी हो। लेकिन रुद्र को महसूस हो रहा था कि उस रात के बाद कुछ बदल चुका था। वह पहले जैसा नहीं था। उसकी ज़िंदगी में एक खालीपन था जो पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। आर्या की सांसें धीमी थीं,...