एक शांत समुंदर की किनारे पर, एक विशाल जहाज की चपेट में आकर, उसका इंजन खराब हो गया। लाखों कोशिशों के बावजूद, कोई इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर सका। समुंदर की लहरें इस बेहद के साथ-साथ उसकी निराशा को भी बढ़ा रही थीं।
फिर, एक अद्वितीय नाम उसके पास आया — मैकेनिकल इंजीनियर! इस नाम के पीछे छिपी थी एक भविष्य की चिंगारी, जो इस तरह के कठिन काम का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव लेकर आया था।
उस दिन की बात है, उसे बुलाया गया। इंजीनियर ने जहाज के इंजन का ऊपर से नीचे तक बहुत ध्यान से निरीक्षण किया। सभी ने उसके जादू को देखने के लिए उत्सुकता से इंतजार किया।
फिर, जैसे ही उसने अपना बैग उतारा, सभी का ध्यान उसकी ओर बढ़ गया। वह निकाला एक छोटा सा हथौड़ा, और उसने इंजन पर उस अलग सीमा को हलके से खटखटाया।
और फिर, आश्चर्य हो गया। इंजन जैसे ही फिर से चालू हुआ, जहाज का हवा में उतरा हुआ दिल सुकून से धड़क रहा था।
इंजीनियर ने इंजन की मरम्मत करके, खुद सफलता की ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हुए जहाज को उसके अगले सफर के लिए तैयार कर दिया।
जब जहाज के मालिक ने इंजीनियर से जहाज की मरम्मत करने की फीस पूछी, तो वह थोड़ी हैरानी और थोड़ी चौंक में थे। “क्या?!” मालिक ने पूछा, “आपने लगभग कुछ नहीं किया, और फिर भी इतनी फीस?”
इंजीनियर ने एक बार फिर अपने अद्वितीय धैर्य का परिचय दिया। “विस्तृत बिल के रूप में आपके सामने पेश करने के लिए, मैंने बिल तैयार कर लिया है,” उसने कहा।
बिल में लिखा था: “हथौड़े से खटखटाया: $2, कहां और कितना खटखटाना है: $19,998। फीस कितना समय लगा उसकी नहीं मेरे अनुभव की है।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि समय की महत्वपूर्णता और अनुभव कितना मूल्यवान होता है। लेखक: मीना शर्मा — एमडी ड्रीमीओ ग्रुप ऑफ कंपनीज़