भारत में खेती एक प्राचीन और महत्वपूर्ण व्यवसाय है। यहाँ के किसान परंपरागत तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का उपयोग करके बड़े पैमाने पर फसल उगाते हैं। खेती में हो रहे तकनीकी विकास और मेहनत के चलते किसान करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। इस ब्लॉग में हम आपको भारत के 10 सबसे अमीर किसानों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने खेती के क्षेत्र में अपनी मेहनत और तकनीक के दम पर सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं।
1. नीतूबेन पटेल – गुजरात
नीतूबेन पटेल गुजरात के राजकोट क्षेत्र की एक महिला किसान हैं, जिन्हें ‘मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया (MFOI) 2024’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान पाने वाली वह पहली भारतीय महिला किसान हैं। उन्होंने Amrut Krishi और Magical Mitti जैसी आधुनिक खेती तकनीक अपनाई है।
नीतूबेन पटेल ने पारंपरिक तरीकों के बजाय उच्च तकनीक का उपयोग करके खेती के क्षेत्र में कमाल किया है। उनकी वार्षिक उलाढाल 100 करोड़ रुपये से अधिक है। यह उनके अडिग मेहनत और उन्नत तकनीक के कारण संभव हो पाया है।
2. युवराज परिहार – उत्तर प्रदेश
युवराज परिहार आगरा, उत्तर प्रदेश के किसान हैं। MFOI 2024 पुरस्कार में वे देश के दूसरे सबसे अमीर किसान और पहले उपविजेता बने। युवराज पर्यावरण अनुकूल खेती तकनीक और आधुनिक कृषि पद्धतियों का समर्थन करते हैं।
युवराज परिहार के पास 50 करोड़ रुपये से अधिक की वार्षिक उलाढाल है। उनके खेतों में वह उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाते हैं, जिससे उन्हें भारी लाभ प्राप्त होता है।
3. हरीश धनदेव – महाराष्ट्र
हरीश धनदेव महाराष्ट्र में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर कोरफडी (मशरूम) उगाते हैं। उन्होंने केवल खेती ही नहीं, बल्कि कोरफडी आधारित विभिन्न उत्पादों का व्यवसाय भी शुरू किया है। उनकी वार्षिक उलाढाल 2.5 करोड़ रुपये के करीब है।
हरीश धनदेव ने खेती में नई तकनीक अपनाई और व्यवसाय में भी नए प्रयोग किए, जिससे उन्हें भारी मुनाफा प्राप्त हुआ है। उनकी मेहनत और व्यवसायिक सोच किसानों के लिए प्रेरणा हैं।
4. गिनाबाई पटेल – महाराष्ट्र
गिनाबाई पटेल महाराष्ट्र की ऐसी महिला हैं जो दोनों पाँवों से अपंग हैं, लेकिन उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और अडिग संकल्प से खेती में नाम रोशन किया है। पोलियो के कारण उन्हें बचपन में ही अपंगता का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेती के क्षेत्र में अद्वितीय काम किया है।
गिनाबाई पटेल डाळिंब (अनार) की खेती करती हैं, जिससे उन्हें वार्षिक 2 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई होती है। उनकी यह सफलता दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियाँ भी किसानों के संकल्प को रोक नहीं सकतीं।
5. सचिन काळे – महाराष्ट्र
सचिन काळे ने 2014 में Agri Life Solution Private Limited नामक एक कृषि कंपनी शुरू की। उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर खेती में कदम रखा। सचिन ने 200 एकड़ में चावल और मौसमी सब्जियों की खेती की, जिसमें 137 किसानों को शामिल किया।
सचिन की वार्षिक उलाढाल 2 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीक अपनाकर खेती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है और किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हैं।
6. रामशरण वर्मा – उत्तर प्रदेश
रामशरण वर्मा ने 1990 में 5 एकड़ से खेती शुरू की थी और अब उनके पास 200 एकड़ से अधिक जमीन है। वे केला, टमाटर, और आलू की खेती करते हैं। 2019 में उन्हें उनकी उत्कृष्ट खेती के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
उनकी वार्षिक उलाढाल 2 करोड़ रुपये से अधिक है। रामशरण वर्मा की सफलता का रहस्य है उनकी मेहनत, अद्यतन तकनीक, और खेती के प्रति उनका जुनून।
7. रमेश चौधरी – राजस्थान
रमेश चौधरी जयपुर, राजस्थान के किसान हैं। उन्होंने फूलों, टमाटर, और खीरा की खेती में ग्रीनहाउस और प्ले हाउस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है। रमेश की वार्षिक उलाढाल 2 करोड़ रुपये से अधिक है।
उनकी खेती तकनीक ने उन्हें इस व्यवसाय में उच्च मुनाफा कमाने में मदद की है। खेती में उनके प्रयोग और व्यावसायिक दृष्टिकोण ने उन्हें एक सफल किसान बना दिया है।
8. विश्वनाथ बोबडे – महाराष्ट्र
विश्वनाथ बोबडे बीड, महाराष्ट्र के किसान हैं। उन्होंने आधुनिक खेती तकनीक का उपयोग करके 1 एकड़ खेती से लाखों रुपये कमाए हैं। उनकी वार्षिक उलाढाल 175 करोड़ रुपये से अधिक है।
विश्वनाथ बोबडे ने खेती में उच्च तकनीक और उन्नत विधियाँ अपनाकर बहुत सफल खेती की है। उनकी सफलता किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
9. प्रमोद गौतम – महाराष्ट्र
प्रमोद गौतम ने इंजीनियरिंग नौकरी छोड़कर खेती शुरू की। उन्होंने गेहूं, मक्का, और सरसों की खेती में आधुनिक तकनीक अपनाई। प्रमोद की वार्षिक उलाढाल 1 करोड़ रुपये से अधिक है।
उनकी मेहनत और आधुनिक तकनीक के प्रयोग ने उन्हें सफल बनाया है। उन्होंने खेती के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है।
10. राजीव बिट्टू – बिहार
राजीव बिट्टू गोपालगंज, बिहार के किसान हैं। उन्होंने सीएसआ जैसी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर खेती शुरू की। वे जैविक खेती करके तरबूज और कलिंगड की खेती करते हैं। उनकी वार्षिक उलाढाल 50 लाख रुपये से अधिक है।
राजीव बिट्टू ने जैविक खेती और आधुनिक तकनीक के मिश्रण से खेती में क्रांति ला दी है। उनकी मेहनत और सफलता ने खेती के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित किए हैं।
निष्कर्ष:
भारत के ये किसान न केवल अपने क्षेत्र में अग्रणी हैं, बल्कि उन्होंने खेती के क्षेत्र में अपनी मेहनत और तकनीक के बल पर करोड़ों रुपये कमाए हैं। इनकी सफलता से यह स्पष्ट होता है कि अगर मेहनत और सही तकनीक का सही उपयोग किया जाए, तो खेती भी एक सफल व्यवसाय बन सकती है।
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