Tumhare bina adhuri | तुम्हारे बिना अधूरी ❤️ | एक अधूरी मोहब्बत की पूरी कहानी
बारिश की हल्की बूंदों में भीगते हुए आरव जब अपने कॉलेज के पहले दिन गेट पर खड़ा था, तब उसने पहली बार सिया को देखा था।
सिया सफेद सलवार-कुर्ते में भीगती हुई दौड़ रही थी और अचानक फिसलकर सीधे आरव की बाहों में आ गिरी थी।
उनकी पहली मुलाकात किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी।
“सॉरी…” सिया ने शर्माते हुए कहा था, और आरव बस उसे देखता रह गया था।
उस पल आरव को कुछ समझ नहीं आया था, बस दिल की धड़कनें तेज़ हो गई थीं।
शायद यही प्यार था… पहली नजर का प्यार।
कॉलेज के चार साल, दोनों ने एक साथ बिताए।
कभी लाइब्रेरी में किताबों के बहाने मिलना, कभी कैंटीन में एक साथ कॉफी पीना, कभी कॉलेज फेस्ट में छुपकर डांस करना —
हर छोटी-बड़ी बात में सिया और आरव एक-दूसरे के लिए जीने लगे थे।
सिया हमेशा कहती थी,
“आरव, तुम ना हो तो मेरी दुनिया अधूरी है।”
और आरव मुस्कुराते हुए वादा करता था,
“जब तक साँसे हैं, मैं तुम्हारा रहूँगा।”
उनकी दुनिया में बस एक-दूसरे के अलावा कुछ भी मायने नहीं रखता था।
कॉलेज खत्म होते ही जिंदगी ने करवट ली।
आरव को दिल्ली में एक शानदार नौकरी मिल गई थी।
सिया का परिवार, जो हमेशा से परंपरागत सोच वाला था, अब उसके लिए रिश्ता देखने लगा था।
एक शाम पार्क में बैठकर सिया ने आरव का हाथ पकड़ते हुए कहा,
“आरव, मेरे घरवाले शादी की बात कर रहे हैं। मैं मना नहीं कर पा रही।”
उसकी आँखों में आँसू थे, और आरव की भी।
“मैं जल्दी से कुछ बड़ा बन जाऊंगा सिया, बस थोड़ा सा वक्त दो।”
आरव ने आश्वासन दिया, लेकिन वह जानता था कि वक़्त हमेशा साथ नहीं देता।
दिन बीतते गए।
आरव अपने करियर में उलझता चला गया, और सिया घरवालों के दबाव में।
फिर एक दिन, एक कॉल आया —
“आरव, मेरी शादी तय हो गई है।”
फोन के उस पार सिया थी, टूटती हुई आवाज़ में।
आरव चुप था। उसकी आँखें भीगी थीं, लेकिन वह कुछ कह नहीं पाया।
सिया की शादी हो गई।
आरव ने खुद को काम में झोंक दिया।
उसने सिया के लिए लिखी हुई सैकड़ों चिट्ठियाँ अलमारी के सबसे गहरे कोने में छुपा दीं।
चिट्ठियाँ — जो कभी भेजी नहीं गईं। चिट्ठियाँ — जो हर रात उसकी तड़प का गवाह थीं।
वो चिट्ठियाँ आज भी उसकी तनहाई का इकलौता सहारा थीं।
हर साल सिया के जन्मदिन पर, आरव एक चिट्ठी लिखता, उसमें अपनी दुआएँ भरता, और फिर उसे पढ़कर अलमारी में रख देता।
हर बार खुद को समझाता, “बस एक बार फिर… फिर भूल जाऊंगा।”
लेकिन कुछ जख्म इतने गहरे होते हैं कि वक़्त भी उन्हें भर नहीं सकता।
कई साल बीत गए।
एक दिन, आरव अपने ऑफिस के काम से अपने पुराने शहर आया।
रात को यूँ ही टहलते हुए वो उसी पुरानी किताबों की दुकान के सामने रुका, जहाँ कभी वह और सिया घंटों बिताते थे।
वहीं उसे एक जानी-पहचानी हँसी सुनाई दी।
वो पलटा — और उसे सिया दिखी।
सिया, हाथ में किताबों का बैग पकड़े, और गोद में एक नन्ही बच्ची को सँभालती हुई।
उसकी आँखों में अब भी वही चमक थी, पर अब उनमें एक अलग सी गहराई भी थी — एक माँ की।
उनकी नजरें मिलीं।
एक पल को वक़्त रुक गया।
सारी यादें, सारे वादे, सारी अधूरी बातें — सब आँखों के रास्ते एक पल में बह निकलीं।
“कैसे हो आरव?” सिया ने हौले से पूछा।
“ठीक हूँ…”
आरव ने मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज़ भीगी हुई थी।
सिया ने बच्ची को गोद से उतारकर उसे ज़मीन पर खड़ा कर दिया।
“यह मेरी बेटी है — आरोही।”
आरव ने झुककर बच्ची को प्यार से देखा।
आरोही ने मासूम मुस्कान के साथ उसकी उंगली पकड़ ली।
उस पल आरव की आँखों से अनजाने में आँसू गिर गए।
“खुश हो न?”
आरव ने पूछा।
सिया ने जवाब नहीं दिया, बस हल्की सी मुस्कान दी —
एक ऐसी मुस्कान, जो कहती थी कि वह मजबूरियों के साथ जीना सीख गई है।
आरव ने जेब से एक कागज निकाला —
वही चिट्ठी जो उसने सालों पहले लिखी थी, सिया के जन्मदिन पर।
बिना कुछ कहे, उसने वो चिट्ठी सिया के हाथ में थमा दी।
फिर बिना पीछे देखे, भारी कदमों से वहाँ से चला गया।
सिया चुपचाप खड़ी रही, हाथ में चिट्ठी लिए।
उसने कांपते हाथों से चिट्ठी खोली।
लिखा था:
“जब भी तू मुस्कुराए, मैं दूर से दुआ दूँगा।
जब भी तू रोए, मैं चुपके से तुझे याद करूँगा।
चाहे तू मेरी ना रही, पर मैं तेरा रहूँगा… हमेशा।
तुम्हारे बिना अधूरी…”
सिया की आँखों से आँसू बह निकले।
उसने आरोही को सीने से लगा लिया।
उसे एहसास हुआ — कुछ मोहब्बतें मुकम्मल नहीं होतीं, फिर भी हमेशा जिंदा रहती हैं।
अंतिम शब्द
आरव अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ा, लेकिन दिल के किसी कोने में वो एक नाम हमेशा धड़कता रहा — “सिया”।
सिया भी हँसती रही, जीती रही, लेकिन रात की तनहाइयों में कभी-कभी वो चुपके से एक नाम पुकारती थी — “आरव”।
दोनों ने जिंदगी से समझौता कर लिया, लेकिन एक-दूसरे से कभी नहीं।
क्योंकि कुछ मोहब्बतें… कभी पूरी नहीं होतीं।
फिर भी… सबसे सच्ची होती हैं।
लेखक: Swapnil Kankute
श्रेणी: हिंदी इमोशनल लव स्टोरी