2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, यूरोपीय संघ, भारत और कई अन्य देशों पर नए Trump tariff लगाने की घोषणा की। इस नीति के तहत चीन से आयातित उत्पादों पर 34% Trump tariff, यूरोपीय संघ से आयातित उत्पादों पर 20% Trump tariff, जापान पर 24% और भारत पर 26% “डिस्काउंटेड रिसीप्रोकल टैरिफ” लगाया गया है। इस फैसले के बाद वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है, और विभिन्न देशों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।
ट्रंप टैरिफ: नई व्यापार नीति और उद्देश्य
राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, यह Trump tariff नीति अमेरिकी उद्योग को पुनर्जीवित करने और व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए लागू की गई है। उनका कहना है कि अमेरिका लंबे समय से अन्य देशों के मुकाबले असमान व्यापार नियमों का सामना कर रहा है, और यह नीति देश को “आर्थिक स्वतंत्रता” दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने इसे “लिबरेशन डे” करार देते हुए कहा, “यह वह दिन है जब अमेरिकी उद्योग पुनः जीवित होगा, जब अमेरिका की आर्थिक शक्ति को पुनः स्थापित किया जाएगा, और जब अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाया जाएगा।”
वैश्विक प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव
भारत की प्रतिक्रिया
भारत पर लगाए गए 26% Trump tariff के बावजूद, भारतीय दवा उद्योग को इस निर्णय से राहत मिली है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) ने अमेरिका द्वारा भारतीय दवाओं पर Trump tariff छूट दिए जाने का स्वागत किया है। Pharmexcil के अध्यक्ष नमित जोशी ने इसे एक महत्वपूर्ण निर्णय बताया, जिससे अमेरिका को आवश्यक और सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध होती रहेंगी।
Pharmexcil के निदेशक राजा भानु ने कहा, “भारतीय दवा उद्योग अमेरिका की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए समर्पित है। यह छूट न केवल हमारे उद्योग को बढ़ावा देगी बल्कि अमेरिकी नागरिकों को भी किफायती चिकित्सा सेवाएँ सुनिश्चित करेगी।”
ऑस्ट्रेलियाई शेयर बाजार पर प्रभाव
Trump tariff की घोषणा के बाद ऑस्ट्रेलियाई शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। निवेशक इस नीति के संभावित प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, जिससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
कनाडा की प्रतिक्रिया
कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अमेरिका के इस कदम का जवाब देने के लिए “काउंटर-मेasures” लागू करेंगे। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिका और उसके व्यापार सहयोगियों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
निवेशकों की राय
Marcellus Investment Managers के ग्लोबल इक्विटी हेड अरिंदम मंडल ने कहा, “घोषित Trump tariff हमारी उम्मीदों से अधिक कठोर हैं। हमने उच्चतम 15-18% Trump tariff की उम्मीद की थी, लेकिन वास्तविक दरें 20-30% के बीच आ गई हैं। यह पिछले एक सदी में व्यापार पर सबसे कड़े प्रतिबंधों में से एक है।”
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रों, जैसे फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा क्षेत्र को अस्थायी छूट मिली है, लेकिन इन छूटों का प्रभाव सीमित हो सकता है।
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अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों पर प्रभाव
संभावित चुनौतियाँ
- भारतीय निर्यातकों पर प्रभाव:
- अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
- 26% Trump tariff के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता घट सकती है।
- आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर असर:
- अमेरिका भारतीय आईटी सेवाओं का प्रमुख खरीदार है।
- उच्च Trump tariff के कारण अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारतीय सेवाओं की मांग प्रभावित हो सकती है।
- मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर दबाव:
- ऑटो और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कच्चे माल और उत्पादों की लागत बढ़ सकती है।
- भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए अपने दाम कम करने पर मजबूर हो सकती हैं।
संभावित अवसर
- दवा उद्योग का विस्तार:
- अमेरिका द्वारा भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादों को Trump tariff से छूट दी गई है।
- इससे भारतीय दवा कंपनियाँ अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती हैं।
- नए व्यापारिक साझेदार:
- भारत अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर सकता है।
- यूरोप, अफ्रीका और एशियाई बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जा सकती है।
Trump tariff नीति से वैश्विक व्यापार पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। भारत को इस नए व्यापारिक परिदृश्य में अपनी रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन करना होगा। हालाँकि, फार्मास्यूटिकल उद्योग के लिए यह सकारात्मक संकेत हो सकता है, लेकिन अन्य क्षेत्रों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए नई योजनाएँ बनानी होंगी।
भविष्य में इस Trump tariff नीति के प्रभावों को समझने और संभावित व्यापार नीतियों को अपनाने के लिए भारत सरकार और उद्योग जगत को सतर्क रहने की आवश्यकता है।